#तुम्हें_पता_है_क्या???

सुनो

तुम्हें पता है क्या?

मुझसे सब नाराज़ है।
ये चांद ये तारे ।

ये सत्रंगीन नजारे।।

वो फूल वो कलियां।

वो सपनों कि गालियां।।

ये नदी वो नहर।

या वो मचलती सी लहर।।
मुझसे सब नाराज़ है।
कहते है,

कहते है…… मै उनसे हो खफा गई हूं।

या हो थोड़ी सी बेवफ़ा गई हूं।।

कहते है….. चांद को देख अब चहकती नहीं हूं।

देख मचलती लेहर अब बेहेक्ती नहीं हूं।।

कहते है…..मुस्कुराहटों का सिलसिला अब कम्म रहता है।

और आंखों का एक कोना कुछ नम रहता है।।

कहते है….वो जो रूठ चला है दूर,उसे पुकार लो ना।

खुद को एक मर्तबा फिर स्वार लो ना।।
सुनो…..

          तुम्हे पता है क्या…..

*इक तुम्हारे ही कारण *

मुझसे सब्ब नाराज़ है।।

Author: Sdaa-ae-Dil

By nature ➡ Unpredictable,Sensitive,Imaginative,Childish and mature as well 😊 By Profession ➡Media representative Hobbies ➡ Dancing, Singing, Writing, Reading and Traveling 😍 Write ➡ Hindi & English blogs. Love to write about which I had been through, or which I feel about other things, people and world.... Sometime Imaginary, Sometime real.😊😍

11 thoughts on “#तुम्हें_पता_है_क्या???”

  1. तुम्हे पता है

    निगाहों में होती हो तुम और में खो जाता हूँ
    किसी और कि बाहों में भी तुम्हारा ही हो जाता हूँ

    तुम्हे पता है

    यूँ तो मेरी भी दुनिया के प्रति बहुत ज़िम्मेदारी है
    लेकिन मेरी दुनिया मेरी नही तुम्हारी है

    तुम्हे पता है

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